जब सच्चाई पे चाल पड़या,
मत निन्दा तै डर पगले।bd।
जिसनै पकडी़ सत की राही,
टांग खिंचते लोग लुगाई,
जब ठेल बात पै आण अड़या,
वृथा छोड़ फिक्र पगले,
जब सच्चाई पै चाल पड़या,
मत निन्दा तै डर पगले।bd।
सच्चाई हो इतनी खोटी,
जाति कोनया सब पै ओटी,
जो रहै बात पै अटल खड़या,
उसके संग ईश्वर पगले,
जब सच्चाई पै चाल पड़या,
मत निन्दा तै डर पगले।bd।
सत मार्ग पै कम धरे जा,
बहरा होकै कर्म करे जा,
जो इस पंगे म्ह आण बढ़या,
जा सै ध्यान बिखर पगले,
जब सच्चाई पै चाल पड़या,
मत निन्दा तै डर पगले।bd।
ओम गुरुजी करैं सहायी,
रामधन लिखिए नित्य सच्चाई,
जो सदा झूठ के बीच सड़या,
रह ना सक्या शिखर पगले,
जब सच्चाई पै चाल पड़या,
मत निन्दा तै डर पगले।bd।
जब सच्चाई पे चाल पड़या,
मत निन्दा तै डर पगले।bd।
गायक / लेखक – रामधन गोस्वामी कागसर।
9991051392
प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लण।
जिला करनाल। 9996800660