श्री लड्डू गोपाल चालीसा लिरिक्स

श्री लड्डू गोपाल चालीसा,

दोहा – बाल रूप में शोभित हैं,
श्री लड्डू गोपाल,
जो जन नित सेवा करें,
मिटे कुअंक तिन भाल।



नमामि श्री लड्डू गोपाल नमामि,

मोहक बाल रूप के स्वामी।bd।

तुम हो घर के प्रियतम प्यारे,
कर दिए तुमने वारे न्यारे।bd।

किस्मत सारे घर की है जागी,
जबसे लगन लला से लागी।bd।

मेहर करी तुम घर जो आए,
धन्य हैं हम नित दर्शन पाएं।bd।

तुम से ही घर में है उजियारा,
तुम भए रक्षक तुम ही सहारा।bd।



नन्हें रघुनंदन पुत्र समेता,

कुंभन दास था बृज में रहता।bd।

भक्त था कुंभन दास तिहारा,
मोहन बाल रूप उन्हें प्यारा।bd।

बाल रूप में ठाकुर पूजे,
नित्य सेवा कर्म ओ करे समूचे।bd।

पल भर ना ठाकुर को छोड़े,
धरहिं ध्यान सुमरे कर जोड़े।bd।

कोस दूर से आया निमंत्रण,
कुम्भन दास को कथा आमंत्रण।bd।



व्यास पीठ पे कुंभन विराजो,

सुना भागवत रंग बरसाज्यो।bd।

असमंजस में कुम्भन फंस गए,
कैसे जाऊं चित्त गोविंद बस गए।bd।

गोविंद भागवत दोनों जरूरी,
हल करो केशव मम ईच्छा पूरी।bd।

तभी ध्यान रघुनंदन आया,
कुम्भन दास ने सुत समझाया।bd।

मुझे कथा में पुत्र है जाना,
तुम ठाकुर को भोग लगाना।bd।



लगा भोग फिर भोजन पाना,

ठाकुर सेवा में रम जाना।bd।

बना भोग कुंभन चल दीना,
सेवा जिम्मा रघुनंदन लीना।bd।

ठाकुर शरण रघुनंदन आया,
लड्डुवन भोग लगाने लाया।bd।

भोग जीमने ठाकुर आओ,
हाजिर भाव भरा अन्न पाओ।bd।

आंख मूंद रघु श्याम पुकारे,
देर भई नहीं मदन पधारे।bd।



बिलख बिलख रघुनंदन रोया,

जोहत बाट गोविंद में खोया।bd।

अन्त दया गोविन्द को आई,
प्रकटे बाल परसादी पाई।bd।

लौट सांय कुंभन घर आए,
चाहहि भोग जो ठाकुर लगाए।bd।

सुन के रघु सकते में आ गए,
कहे भोग सारा ठाकुर खा गए।bd।

संशय में कुंभन् रघु सब खाया,
भय से नाम ठाकुर का लगाया।bd।



कुम्भन दास ने मन समझाया,

हरि ईच्छा कोई जान ना पाया।bd।

बाल रूप गोविंद नित आवै,
रघु का भोग स्वाद से खावै।bd।

कुम्भन दास में आ गई खिन्नता,
रघु बोले झुंठ यूं बढ़ गई चिंता।bd।

छुप गए कुंभन देखने लीला,
बाल रूप आए श्याम रंगीला।bd।

रघु संग कान्हा करे आहारा,
कुंभन कूद गोपाल पुकारा।bd।



एक मोदक था वाम हाथ में,

दांए हस्त लड्डू मुख के साथ में।bd।

इसी छवि में कान्हा हुए सुशोभित,
लड्डू गोपाल बन जग करें मोहित।bd।

अंतर्ध्यान हो जड़ हुए कान्हा,
विग्रह रूप में पुजें भगवाना।bd।

लड्डू गोपाल जी तुम्हें मनाऊं,
सुबह शाम प्यारे तेरे गुण गांऊं।bd।

राधे राधे बोल तेरे महल में आऊं,
प्रातः काल लला तुम्हें जगाऊं।bd।



करा स्नान तुम्हें सुंदर सजाऊं,

माखन मिश्री का भोग लगाऊं।bd।

करत कीर्तन तेरे गुण गांऊं,
लाड लड़ाऊं तुम्हें शीश झुकाऊं।bd।

चाव से खाना लला तुम्हें खिलाऊं,
तेरे चरणों में सदा ही सुख पांऊं।bd।

सांय केशर मेवा दूध पिलाऊं,
आरती उतारूं रात प्रेम से सुवाऊं।bd।

‘ओम सैन’ चित्त में गोपाल बसाऊं,
श्री लड्डू गोपाल चालीसा सुनाऊं।bd।



दोहा – श्री बाल रूप गोपाल जी,

करें पूर्ण अभिलाषा,
चित्त लगा जो नित्य पढ़े,
श्री लड्डू गोपाल चालीसा।bd।

इति श्री लड्डू गोपाल चालीसा,

लेखक / प्रेषक – ओम सैन।
9464655051
गायक – अभिजीत चोपड़ा।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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