सतगुरु आप अलख अविनाशी,
दोहा – बड़े बड़ाई ना करे,
बड़े ना बोले बोल,
रहीमन हिरा कब कहे,
लाख टका मेरो मोल।
ऐसी वाणी बोलिए,
मन का आपा खोय,
औरन को शीतल करे,
आप ही शीतल होय।
सतगुरु आप अलख अविनाशी,
आवे नही जावे मरे नही जन्मे,
निर्भय देश दीवाणी,
सतगुरु आप अलख अविनासी।bd।
वहाँ पर चंदा सूरज नही तारा,
अखंड ज्योत प्रकाशी,
वहाँ रेण दिवस नही वहाँ पे,
चंदा आप सुख राशी,
सतगुरु आप अलख अविनासी।bd।
माया इस जीव नही व्यापे,
एक दोय नही भाषी,
त्रिगुण पार परो सुखम केवल,
विरला संत लखताशी,
सतगुरु आप अलख अविनासी।bd।
ओम सोम सुमरण नही वहाँ पे,
ग्रंथ पंथ विलाशी,
वेद पुराण पहुचे नही वहाँ पे,
जोग कला थक जाशी,
सतगुरु आप अलख अविनासी।bd।
चेतन आता सर्व रा साक्षी,
गुरुगम सेन मिलाशी,
आद पुरुष केवल अनादि,
ज्यांरा शरीर का वाशी,
सतगुरु आप अलख अविनासी।bd।
श्री पूज्य दीप दयालु दाता,
सत आतम सुख राशी,
महेर भई जद मेरम जाणों,
महादवानंद फरमाशी,
सतगुरु आप अलख अविनासी।bd।
सतगुरु आप अलख अविनासी,
आवे नही जावे मरे नही जन्मे,
निर्भय देश दीवाणी,
सतगुरु आप अलख अविनासी।bd।
गायक – हरिओम प्रभु।
प्रेषक – मोतीलाल कुम्हार।
फोन 9099780069