साँसों की माला पे सिमरूं मैं सांई राम
श्लोक – सांस आती है सांस जाती है, 
 सिर्फ मुझको है इंतजार तेरा,
 आंसुओ की घटाए पी पी के,
 अब तो कहता है यही प्यार मेरा।bd।
साँसों की माला पे सिमरूं मैं सांई राम,
साई को जपते जपते गुजरे मेरे सुबह श्याम, 
अपने मन की मैं जानूँ और पी के मन की राम।bd।
 
साईं के रंग मे एसी दुबी हो गयी एक हि रुप,
साई के चरनो मे आया मेरी रुह को आराम,
साँसों की माला पे, सिमरूं मैं सांई राम।bd। 
साईं सहारे मेने छोड़ी, अपनी जीवन डोर,
मेरी नैय्या चाहे डूबे, चाहे उतरे पार,
साँसों की माला पे, सिमरूं मैं सांई राम।bd। 
साईं शरन मे जो कोई आवे होता है उध्धार,
करता हे मेरा साई सागर का बस नाम, 
साँसों की माला पे, सिमरूं मैं सांई राम।bd। 
साँसों की माला पे सिमरूं मैं सांई राम, 
साई को जपते जपते गुजरे मेरे सुबह श्याम, 
अपने मन की मैं जानूँ और पी के मन की राम।bd।
            




