राम जी के सुंदर नगरिया बड़ा नीक लागे मंदिरिया
राम जी के सुंदर नगरिया,
दोहा - राम की भक्ति राम की सेवा,
राम भजन में ही रंग जाना,
ऐसा सुन्दर नगरी अयोध्या,
मन करे नहीं अब घर...
गाईला तोहरो हम भजनिया हो हे मइया बिणवा बजाइदा
गाईला तोहरो हम भजनिया हो,
दोहा - हंस वाहिनी माँ मेरी,
रखना मेरी लाज,
ऐसी कृपा कीजिए,
सफल होय सब काज।
गाईला तोहरो हम भजनिया हो,
हे मइया बिणवा बजाइदा।bd।
तोहरा...
ये दुनिया सारी मतलब की है पैसों की है रुपयों की
ये दुनिया सारी मतलब की,
है पैसों की है रुपयों की,
रुपयों के पीछे,
रुपयों के पीछे लडह पड़ी,
भगवत से भाया दुरह खड़ी।bd।
जो रुपया वाला लोभिड़ा है,
वे...
अबकी बितरी भगवत ने हिरदा नाहीं राखियों रे
अबकी बितरी,
भगवत ने हिरदा,
नाहीं राखियों रे।bd।
कोई के लागे आंखियां चश्मों,
कोई के टेलीफोन,
कोई पड़ियां माचा माहीं,
रोटी ना देवे पोन,
केवे बापड़ी,
भगवत ने हिरदा,
नाहीं राखियों रे।bd।
बेटा पोता...
चक्कर चाल रियो ढा़लिया में प्रजापत ब्रह्मा जी दरबार
चक्कर चाल रियो ढा़लिया में,
दोहा - ब्रह्मा जी ने चाक चलाई,
अपनी झौपड़ माय,
माया का ये जीव घड़े,
आंकड़ा लिखे सरस्वती माय।
चक्कर चाल रियो ढा़लिया में,
प्रजापत...
दुश्मन मत बणरे दुनिया में भई म्हारा के दिन को जीणो
दुश्मन मत बणरे,
दोहा - धन दौलत का मद मानवी,
दिखे बड़ा ही कठोर,
दस दोष से भरा हुआ है,
बन्दुक में भरा ज्युं होर।
दुश्मन मत बणरे,
दुनिया में...
खेल रचावियो रे दाता कुम्भकारी बण जाय
खेल रचावियो रे दाता,
कुम्भकारी बण जाय,
कुम्भकारी बण जाय दाता,
कुम्भकारी बण जाय।bd।
माटी रो मटकों महल बणायो,
ब्रह्मा जी करतार,
हरि सुदर्शन चक्कर लाया,
काटन दी अंगरार।bd।
कलम कुम्हारी लेय...
मेरी बिगड़ी तो मेरा बाबा ही बनाएगा लिरिक्स
मेरी बिगड़ी तो,
मेरा बाबा ही बनाएगा,
पूरा है भरोसा मुझे,
लाज वो बचाएगा,
गले से लगाएगा,
मेरी बिगड़ी तों,
मेरा बाबा ही बनाएगा।bd।
तर्ज - गोरे गोरे मुखड़े पे।
देखे -...
जीवन की नैया को मेरे श्याम चलाते है लिरिक्स
जीवन की नैया को,
मेरे श्याम चलाते है,
गम की हर आंधी को,
मेरे श्याम मिटाते है,
जीवन की नईया को,
मेरे श्याम चलाते है।bd।
तर्ज - एक प्यार का...
रघुवर जी थारी सूरत प्यारी लागे म्हारा राम भजन लिरिक्स
रघुवर जी थारी सूरत,
प्यारी लागे म्हारा राम,
उमराव बन्ना सूरत प्यारी,
लागे मोरा श्याम।bd।
शीश किलंगी पागड़ी,
रत्न जड़ित सिर पैंच,
कुण्डल झलकत कान में,
ले सबको मन खैंच,
रघुनन्दन थारी...









