छोड़ के ना जाओ मोहन,
हमने तन मन किया अर्पण।bd।
तर्ज – छोड़ के ना जाओ पिया।
दिल में बसा के,
तुझे अपना बना के,
कहीं दूर जाने दूँ,
अब तुमसे कहना है,
जुदा तुमसे ना होना है,
तुम ही हो मेरे जीवन,
हमने तन मन किया अर्पण।bd।
बंसी बजा के,
मुझे घर पर बुला के,
अब छोड़ जाते कहां,
अब तुमसे कहना है,
जुदा तुमसे ना रहना है,
बंसी भी हो गई कफन,
हमने तन मन किया अर्पण।bd।
छोड़ के ना जाओ मोहन,
हमने तन मन किया अर्पण।bd।
प्रेषक – रोहित द्विवेदी।
7067551601