साईं तेरी शिर्डी को मेरा प्रणाम
तर्ज – सोलह बरस की बाली उमर को 
श्लोक – इरादे रोज बनते है टूट जाते है,
शिर्डी वही जाते है जिन्हे साईं बुलाते है।
जय जय साईं राम राम,
बोलो जय जय साईं राम।
साईं की पावन की भूमि को मेरा प्रणाम 
साईं तेरी शिर्डी को मेरा प्रणाम २।
शिर्डी ये तेरी साईं दिल में उतर गई २
मिटटी लगाई सर से किस्मत सवर गई 
झोली थी खली मेरी झोली ये भर गई 
सरकार साईं नाथ सुनलो मेरी पुकार 
ओ साईं तेरी शिर्डी को मेरा प्रणाम २।
भक्तो का लगता मेला इस शिर्डी गाँव में २
साईं विराजे मेरे निबुआ की छाव में 
श्रद्धा सबुरी भरलो जीवन की नाव में  
सरकार साईं नाथ सुनलो मेरी पुकार 
साई तेरी शिर्डी को मेरा प्रणाम २।
तेरा करम हुआ तो हम शिर्डी आएँगे २
पा करके तेरा दर्शन भाग्य खुल जाएंगे 
नाम लेने से तेरा भाव से तर जाएंगे 
सरकार साईं नाथ साईं नाथ साईं नाथ 
साईं तेरी शिर्डी को मेरा प्रणाम २।
जब तक बिका ना था कुछ मोल ही न था 
तुमने खरीद कर अनमोल कर दिया
साई तेरी शिर्डी को मेरा प्रणाम।
जय जय साईं राम राम,
बोलो जय जय साईं राम ।
साईं की पावन की भूमि को मेरा प्रणाम,
साईं तेरी शिर्डी को मेरा प्रणाम २।
            




