श्री बाबोसा वंदनावली,
दोहा – श्री बाबोसा भगवान का,
जो नित उठ ध्यान लगाया,
दुख संकट टल जाये उसके,
बाबोसा करे सहाय।
कलयुग के अवतारी है,
भक्तो के पालनहार,
माँ छगनी के नन्दन तेरी,
हो रही जय जयकार।bd।
जय बाबोसा नाम बड़ा प्यारा,
संकट मोचन कष्ट निवारा।bd।1।bd।
बाबोसा कलयुग अवतारी,
जिनकी महिमा है अति भारी।bd।2।bd।
ध्यान लगाकर भविजन प्राणी,
बाबोसा की सुनो कहानी।bd।3।bd।
धर्म ध्यान की एक डगर है,
राजस्थान का चूरू नगर है।bd।4।bd।
इस धरती का इतिहास है न्यारा,
जहाँ जन्मा इस युग का सितारा।bd।5।bd।
नाम था पन्ना गोत्र कोठारी,
पिता घेवरचंद छगनी माँ प्यारी।bd।6।bd।
माँ छगनी की सच्ची लगन थी,
हनुमत भक्ति में सदा मगन थी।bd।7।bd।
माँ छगनी की देखके भक्ति,
प्रगट हुई एक दिव्य शक्ति।bd।8।bd।
कोई नही वो हनुमत न्यारा,
मांगलो वर माँ जो तुमको हो प्यारा।bd।9।bd।
हाथ जोड़ हनुमत से बोली,
पुत्र हो आप सा भरदो झोली।bd।10।bd।
माँ छगनी के भाग्य सँवारे,
देकर वर हनुमंत पधारे।bd।11।bd।
नौ मास का समय है बीता,
बह रही खुशियों की सरिता।bd।12।bd।
माघ शुक्ल पंचमी दिन प्यारा,
माँ छगनी का जन्मा दुलारा।bd।13।bd।
बड़ा ही सुंदर कोमल ललना,
नाम रखा गया जिसका पन्ना।bd।14।bd।
पन्ना में थी अद्भभुत शक्ति,
ह्रदय मे जिसके हनुमत भक्ति।bd।15।bd।
उम्र के साथ बढ़ रहा था आगे,
अला बला जिसे देखके भागे।bd।16।bd।
उनके दुखड़े पल में हरता,
जिनको भी ये स्पर्श है करता।bd।17।bd।
सबके मुख पे पन्ना था नाम,
कहते थे सब ये है भगवान।bd।18।bd।
चमत्कार ऐसे दिखलाये,
भेद कोई भी समझ न पाये।bd।19।bd।
धीरे धीरे युवावय धारे,
सत्रराह वर्ष में स्वर्ग सिधारे।bd।20।bd।
भाद्रव शुक्ल पंचमी दिन था,
गांव शहर सब शोक लीन था।bd।21।bd।
आंखों में थी अंसुवन धारा,
छोड़ गया छगनी का दुलारा।bd।22।bd।
पूण्य आत्मा स्वर्ग में आई,
देव देवी कर रहे अगुवाई।bd।23।bd।
ब्रह्मा विष्णु शंकर त्रिपुरारी,
पन्ना जिनके है अवतारी।bd।24।bd।
हनुमंत देख देख मुस्काये,
पन्ना को अपनी गोदी में बिठाये।bd।25।bd।
मिग्सर शुक्ल की पंचमी आई,
हनुमत के मन खुशियाँ छाई।bd।26।bd।
पन्ना को दी अपनी सब शक्ति,
साथ में घोटा और दी भक्ति।bd।27।bd।
होगा रूप तेरा मेरे जैसा,
नाम तुझे मैं दुं बाबोसा।bd।28।bd।
देवी देव कर रहे अभिनदंन,
कर रहै बाबोसा सबको वन्दन।bd।29।bd।
खूब स्वर्ग का था वो नजारा,
बरसे सुमन हुआ जयकारा।bd।30।bd।
श्री बाबोसा नाम जो ध्यावे,
संकट एक पल में कट जावे।bd।31।bd।
है हनुमत प्रिय है वरदानी,
त्रिकाल दर्शी तुम महाज्ञानी।bd।32।bd।
रूप अनूप है दिव्य शरीरा,
हाथ मे घोटा है बल वीरा।bd।33।bd।
धन यश वैभव सब मिल जाता,
ॐ बाबोसा मन्त्र जो ध्याता।bd।34।bd।
तांती भभूति जल जो पावे,
संकट सभी उनके टल जावे।bd।35।bd।
होते जहाँ पे चमत्कार है,
बाबोसा का दरबार है।bd।36।bd।
मंगलवार है मंगलकारी,
व्रत करते सब नर और नारी।bd।37।bd।
ॐ बाबोसा नाम अति प्यारा,
सुमिरत होत भव जल पारा।bd।38।bd।
पूजा करे जो सांझ सकारे,
श्री बाबोसा कष्ठ निवारे।bd।39।bd।
कंचन काया देत है माया,
बांझन के घर पलना बंधाया।bd।40।bd।
बाबोसा भक्तन रखवारे,
संकट मोचन संकट टारे।bd।41।bd।
घर घर में है चर्चा तुम्हारी,
बाबोसा भक्तन हितकारी।bd।42।bd।
बाईसा पर महर तुम्हारी,
बाईसा में छवि तिहारी।bd।43।bd।
ममता की मूरत करुणा सागर,
धन्य हुए बाईसा को पाकर।bd।44।bd।
बाईसा के मुख से वचन जो निकले,
किस्मत की रेखा वो बदले।bd।45।bd।
परम आराधिका मंजू बाईसा,
जिनके दिल में श्री बाबोसा।bd।46।bd।
बाबोसा परिवार हमारा,
तेरे सहारे तू पालनहारा।bd।47।bd।
जो जन तेरा ध्यान लगावे,
मनवांछित फल को वो पावे।bd।48।bd।
हम तेरे चरणों के चाकर,
बाबोसा है नाथ दयाकर।bd।49।bd।
वंदनावली जो सुने सुनावे,
दुख संकट सारे मिट जावे।bd।50।bd।
दास ये ‘दिलबर’ शरण तुम्हारी,
भूल चुक करो माफ हमारी।bd।51।bd।
दोहा – संकट हरण मंगल करण,
श्री बाबोसा भगवान,
बल बुद्धि के दाता तुम्ही,
हम बालक अज्ञान।
बाबोसा वंदनावली को,
जो भक्त करे नित गान,
कहे मंजू बाईसा उनका,
बाबोसा करे कल्याण।
इति श्री, श्री बाबोसा वंदनावली
गायक – श्री हर्ष व्यास मुम्बई।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
9907023365