सैया सतगुरु भल आया जी,
कर हर गाज्यो इन शहर में,
आनंद बरसाया ऐ।bd।
दर्द मिटायो इन जीव रो,
तन री तपत बुझास्या ऐ,
युगन युगन रा जीव अलुज्या,
सतगुरु सुलझाया ऐ।bd।
भाव सागर रो भय मिटाई ने,
जम जाल हटाया ऐ,
करी कृपा गुरुदेव जी,
सत् शब्द सुनाया ऐ।bd।
जड़ पूजा सब छोड़ ने,
सतगुरु फरमाया ऐ,
पारस लागो इन अंग ने,
कंचन कर थाया ऐ।bd।
रैन अंधेरों सब मेट ने,
सपना सर्व हटाया ऐ,
कहे नावलो कृपा भई,
दिन रैन जगाया ऐ।bd।
सैया सतगुरु भल आया जी,
कर हर गाज्यो इन शहर में,
आनंद बरसाया ऐ।bd।
प्रेषक – जयंती लाल जी।
7732917582