मुझे श्याम अपने,
गले से लगा लो,
ज़माने की ठोकर,
बहुत खा चूका हूँ,
मिला ना मुझे कुछ भी,
अपना बना लो,
मुझें श्याम अपने,
गले से लगा लो।bd।
तर्ज – वो जब याद आए।
प्यार चाहा मगर,
मैंने पाया नही,
चैन दिल को कहीं,
मेरे आया नहीं,
सुना ना किसी ने,
अपना फ़साना,
बहुत हो चूका अब,
दाता संभालो,
मुझें श्याम अपने,
गले से लगा लो।bd।
बस मुझको इतना कह दो,
तुमको अपना बना लिया,
चिंता क्यों करता है तू,
सर पे तेरे हाथ मेरा,
अहसान तेरा,
सदा ये रहेगा,
चरणों में अपने,
मुझको बिठा लो,
मुझें श्याम अपने,
गले से लगा लो।bd।
जब से मैंने सुना,
तुम दयालु बड़े,
जिसका कोई नहीं,
उसके तुम सांवरे,
चला आया मैं भी,
दर पे तुम्हारे,
खड़ा एक तरफ हूँ,
नजरे मिला लो,
मुझें श्याम अपने,
गले से लगा लो।bd।
श्याम बहादुर शिव का तो,
जनम जनम का नाता है,
मात पिता भाई बंधू,
तू ही भाग्य विधाता है,
दया इतनी करना,
मुझपे मुरारी,
रहूँ तेरे दर पे,
इतनी कृपा हो,
मुझें श्याम अपने,
गले से लगा लो।bd।
मुझे श्याम अपने,
गले से लगा लो,
ज़माने की ठोकर,
बहुत खा चूका हूँ,
मिला ना मुझे कुछ भी,
अपना बना लो,
मुझें श्याम अपने,
गले से लगा लो।bd।
स्वर – संजय मित्तल जी।
क्या बात है जय श्री श्याम।।।